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मदारी और जमूरों के तमाशे से अढाई सौ करोड़ की कमाई ??

TelangBlog
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शहर के किसी कोने या चौराहे पर हम अक्सर मदारी का खेल देखा करते हैं. ये मदारी लोग अक्सर बन्दर या भालू को नचाते हैं. करतब दिखाने से पहले मदारी इन जानवरों को अच्छी तरह कंडीशंड कर लेते हैं. मदारी बंदर को डमरू बजा कर केले या फल देता है उसी तरह भालू को ढोल बजाते हुए गर्म तवे के ऊपर बिठा देता है. अगले बार जब करतब दिखाने की बारी आती है तो सिर्फ डमरू या ढोल बजा कर काम चल पड़ता है. . ये मदारी लोग शहर में अक्सर भीड़ खींचने में कामयाब हो जाते हैं और बदले में भीड़ उसे कुछ सिक्के या नोट फैंक देती है. यहाँ मदारी अपने जमूरों के करतब की बदौलत अपने और जमूरों का पेट पालने लायक कमा लेता है. .
खैर यह तो थी मदारियों और उन के करतबों की बात मगर आज के सभ्य और आधुनिक कहे जाने वाले समाज में कुछ अलग ही तरह के मदारियों ने अपने खेल का जलवा दिखाना शुरू कर दिया. इन मदारियों ने अपने करतब को सीधे धर्म से जोड़ कर देश के पढ़े लिखे, सभी समाज को जमूरों की तरह नचाना शुरू कर दिया. . धर्म और अध्यातम का हवाला दे कर इन मदारियों ने अपने करतब को मीडिया के सहयोग से घर – घर तक पहुँचाया. यहाँ मैं जिस मदारी कि बात कर रहा हूँ उस ने तो सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए. यह मदारी तो मदारियों का भी बाप निकला. इस मदारी की खासियत यह है कि ये तमाशा दिखाने से पहले पैसे वसूल कर लेता है. इस ने दावा किया कि उस के पास हर मर्ज़ की दवा है. इतना ही नहीं , वो किसी का भी भविष्य देख सकता है और उसे सुधार सकता है. बस फिर क्या था .. लोग इस के जमूरे बनते चले गए . नतीजा यह हुआ कि लोग इस मदारी को भगवान मान कर पूजने लग पड़े ! इस मदारी ने अपने अभूतपूर्व करतबों से एक बहुत बड़े आबादी का दिमाग कुंद कर के रख दिया. . अपने मंझे हुए जमूरों की मदद से करतबों को दिखा कर जनता पर ऐसा जादू चलाया की जो लोग पान – बीडी पर भी खर्च करने से डरते थे वो भी खुल कर मदारी पर पैसे बरसाने लगे.. ज्यादातर लोगो को इस मदारी ने लालच और अन्धविश्वास के जाल में ऐसे फंसाया की बेचारों को अपनी आमदनी का दसवा हिस्सा भी दान करना पड़ा.
लोग मदारी के बताये हुए नुख्सों को खुदा की आवाज़ मान कर ऐसे अम्ल में लाने लग पड़े मानो उन की समस्त मुसीबतें हमेशा के लिए दूर हो जायेंगे. बड़ी अजीब बात थी और मदारी के जमूरे अपने करतब और अभिनय से अच्छे – अच्छों को शीशे में उतारने में कामयाब होते चले गए .
जिस मदारी ने शुरू में अपने चंद जमूरों के साथ करतब दिखा कर धंधा शुरू किया था उसने मीडिया का सहारा ले कर पूरे देश में अपने करतब का लोहा मनवा लिया ! मदारी को अब चारों तरफ से नोटों की बरसात होने लग गयी. अब मदारी के जमूरों ने खुदा का अवतार बताकर लोगों को चित करना शुरू कर दिया. . करतब बाज़ी के धंधे में करोड़ों की आमदनी होने लगी. लोग इस मदारी के करतब से इस कद्र प्रभावित हुए कि खुद भी जमूरे बन गए . मीडिया को भी मदारी की आमदनी का मोटा हिस्सा मिलने लगा. अब मदारी ने खुल कर अपना तमाशा दिखाना शुरू कर दिया और बेतहाशा नोट कमाना शुरू कर दिया और जनता को भी खूब बन्दर की तरह नचाना शुरू कर दिया. इसी बीच मीडिया के साथ मदारी के मतभेद हो गए . मीडिया ने पलटी मारी और मदारी के चमत्कार का राज़ खोल दिया. जनता में बहुत से लोग जो जमूरे बन गए थे मीडिया के खुलासे ने उन्हें चौंका दिया. उन्हों ने मदारी को कोसना शुरू कर दिया. जिन्हों ने मदारी के कहने पर चाट पकोड़े , समोसे गोलगप्पे खाने शुरू कर दिए थे उन्हें अब यही चीज़े खा कर बदहजमी होने लगी . महंगे जूते और पर्स भी उन्हें अब बेअसर दिखने लगा . मगर कुछ जमूरे पक्के जमूरे बन गए. उन्हें मीडिया की खबर बिलकुल विचलित नहीं कर पाई. उलटे मदारी की शान में ये जमूरे और ज्यादा कसीदे पढने लग गए. . मीडिया की आवाज़ को इन्हों ने बिलकुल नकार दिया और उलटे कोसना शुरू कर दिया . ये जमूरे जमूरे ही रहेंगे और मदारी के इशारों पर नाचते रहेंगे. खैर यह खेल लगभग ख़त्म प्रतीत होता है मगर तब तक मदारी ने तक़रीबन अढाई सौ करोड़ रूपए कमा लिए थे.
तो यह था दोस्तों एक मदारी और उस के जमूरों की कहानी …… . उम्मीद करते हैं कुछ अरसे बाद कोई नया मदारी ज़रूर पैदा हो जायेगा !!
– R.K. Telangba
– आर. के. टेलंग्बा

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