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इक्कीसवी शताब्दी में बाबाओं के चमत्कार (एक व्यंग)

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आज इक्कीसवी शताब्दी में विज्ञानं और तकनीक के क्षेत्र में ज़बरदस्त उन्नति हुयी . इस के साथ साथ व्यापार और धन कमाने की लालसा भी बहुत ज्यादा बढ़ गयी. धन कमाने की इसी होड़ के चलते आज जिस नए व्यवसाय ने जन्म लिया है उस का नाम है बाबागिरी. यह एक ऐसा व्यवसाय है जिस में न हींग लगती है न फिटकरी, मगर रंग हमेशा चोखा ही आता है. इस व्यवसाय में आप अदृश्य चीज़ें बेच कर लोगों से खूब धन कमा सकते है. सूचना क्षेत्र में अदभुत क्रांति के बदोलत आप इस व्यवसाय का विज्ञापन मीडिया में प्रसारित कर के अपने व्यापार को रातों रात बढ़ा सकते हैं. आज बाबागिरी से जुड़े शातिर व्यवसायियों ने एक बहुत ही नए कांसेप्ट की खोज कर डाली है. इस कांसेप्ट के तहत आप लोगो के दुःख दर्द, तकलीफ, मुसीबत दूर करने या बीमारियों को ठीक करने का ठेका लिया जाता हैं. इस तरह के व्यापार में काम होने से पहले ही पैसे वसूले जाते हैं. इस में प्रत्येक पीड़ित से कम से कम दो हज़ार रूपए लिए जाते हैं और उन पर कृपा बरसाने की पूरी गारंटी दी जाती है. फर्म को पैसे का अग्रिम भुगतान बैंक ट्रांसफर द्वारा किया जाता है . यह बैंक खता नम्बर टीवी में विज्ञापन के वक्त लगातार दिखाया जाता है. इस में शर्त यह रखी जाती है कि अगर आप पैसे की अग्रिम भुगतान करने के काबिल न हो तो आप पर कोई कृपा नहीं बेचीं जाएगी. साथ ही जो इस सेवा के स्थायी ग्राहक बन जाते हैं उन से आग्रह किया जाता है कि उन पर बरसने वाली कृपा का सब्सक्रिप्शन जारी बनाये रखने के लिए वो अपनी कमाई का दस प्रतिशत हिस्सा हर महीने भेजते रहे , ऐसा न करने की सूरत में उन पर बरसने वाले कृपा की अवधि (वेलिडिटी) समाप्त हो जाती है जिस को फिर से ACTIVATE नहीं किया जाएगा !
भारत जैसे देश में इस सेवा का लाभ उठाने वाले ग्राहकों की संख्या बहुत ज्यादा है. जितने भी तीव्र बुद्धि वाले लुटे – पिटे , ज़िन्दगी से परेशान, थके हुए , गरीब और बीमार , लाचार लोग इस स्कीम के तहत अपनी जमा पूंजी इकट्ठे कर के इस के ग्राहक बन जाते हैं . जो इस व्यापार को चलाते हैं उन के पास अथाह धन दौलत आना शुरू हो जाते हैं. तब यह फर्म अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा मीडिया को मुंह बंद रखने और विज्ञापन के प्रसारण के लिए खर्च करने लग जाता है. इस व्यापार में विरोधियों को दबाने के लिए भरपूर धन और बल का इस्तेमाल किया जाता है. अगर कोई इस व्यवसाय को अनुचित ठहराने की जुर्रत करे तो उसे अदालत का नोटिस भेज कर अक्ल ठिकाने लगाया जाता है. साथ ही कोई अगर इंटरनेट या सोशल साईट पर कुछ सवाल उठाने लगे तो तुरंत डरा धमका कर सामग्री हटाने के लिए विवश किया जाता है.
खैर वैसे हमारे देश के बुद्धिमान लोगों की भीड़ हमेशा इस स्कीम का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए लम्बी लाइन लगा कर खड़ी रहती है. फिर व्यापारी उन पीड़ित लोगों को उन की समस्याओं को दूर करने, बीमारी ख़त्म करने के लिए समोसा खाने, गोलगप्पे खाने और काले चमड़े के पास रखने इत्यादि अद्वितीय उपाय दे कर उन पर महान कृपा करते हैं. अब तक लाखों बुद्धिमान लोगो ने इस अदभुत सेवा का भरपूर लाभ उठा चुके है और जिन्हों ने अभी लाभ नहीं उठाया वो किसी न किसी तरह पैसे का जुगाड़ कर के जल्द अपना नम्बर लगने की उम्मीद लिए बैठे हैं .
धन्यबाद.
R . K . Telangba

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