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प्यार, इश्क, मोहब्बत बनाम वेलेंटाइन – Valentine Contest

TelangBlog
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जैसे कि आप सब जानते हैं की चौदह फरवरी को वेलेंटाइन दिवस मनाया जाता है और आज कल JJ पर वेलेंटाइन कोंटेस्ट के नाम पर आज कल ढेर सारे ब्लोगर्स धडाधड अपने ब्लॉग पोस्ट कर रहे हैं. सब के अपने – अपने विचार हैं , सब अपने – अपने अनुभवों के आधार पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं. अब इतने सारे ब्लोगज पढ़ – पढ़ कर मेरा भी मन मचलने लगा है कि मैं भी इस विषय पर कुछ लिख डालूं . अब सच कहूँ तो मेरे पास इस विषय लिखने के लिए ज्यादा कुछ भी नही है . जहाँ तक प्यार, इश्क, मोहब्बत का सवाल है मेरा तो इस विषय में सामान्य ज्ञान न के बराबर है. हाँ मुझे हैरानी होती है कि वेलेंटाइन दिवस का नाम सुनते ही लोगों के दिल में लड्डू क्यों फूटने लगते हैं ? चलो यह तो हुयी लोगों की बातें, आइये अब मैं अपने अनुभवों के बारे में बताता हूँ , बात उन दिनों की है जब मैं कालेज में पढ़ता था. तब मैं अपने दोस्तों को उन के प्रेम किस्सों के बारे में बात करते हुए देखा करता था. उस वक्त वो लोग अपनी प्रेमिकाओं को आकर्षित करने तथा उन्हें खुश करने के लिए अजीबो गरीब हरकतें किया करते थे. कुछ को तो बिलकुल फ़िल्मी अंदाज़ में अपनी ऊँगली को डरते – डरते ब्लेड से चीर कर खून से प्रेम पत्र लिखते हुए भी देखा था,कुछ अपनी प्रेमिका को हांसिल करने के लिए और उन पर दबाब डालने के लिए आत्म हत्या तक करने की धमकी दिया करते थे. सभी मित्रगण जब इकट्ठे हो जाते थे तो फिर चटखारे ले ले कर अपनी प्रेम कहानी बयान किया करते थे. उन सब के किस्से सुन कर मुझे भी प्रेम सागर में गोते लगाने की इच्छा होने लगी, चूकि मैं बहुत ही शर्मीले स्वाभाव का था और लड़कियों से बात चीत करना तो दूर की बात, मैं तो ठीक से आँख भी नही मिला पाता था. जहाँ तक प्यार की परिभाषा मैने उन लोगो से सुनी थी, जिसे सुन कर मैं और ज्यादा भ्रमित हो जाता था. बड़े ही बडबोले अंदाज़ में सभी अपने प्रेम किस्से सुनाया करते थे. उन के लिए प्यार मोहब्बत महज़ टाइम पास का बहाना मात्र था. मेरे कुछ मित्र बहुत ही बातूनी और चालबाज़ थे, वो लड़कियों को अपनी लच्छेदार बातों और झूठे शानोशौकत दिखा कर बड़ी आसानी से फांस लेते थे.
प्यार कहाँ से शुरू होता है और कहाँ खत्म, यह मैं कई बार देख चुका था. कालेज में कोई खूबसूरत लड़की दिख गयी और फिर सब उस के पीछे हाथ धो कर पड़ जाते थे. कोई उस से एकतरफा प्यार करने लगता तो कोई हिम्मत जुटा कर अपना प्रेम सन्देश पहुँचाने में सफल हो जाता था.. इन सब किस्सों में मुझे प्रेम कम और हास्य (कोमेडी) ज्यादा नज़र आता था. अधिकांश लोग आकर्षण को प्यार मान कर चलते थे. जहाँ तक आकर्षण का सवाल है, यह एक सीमित अवधि के लिए होता है क्यों कि मैंने खुद भी आकर्षण महसूस किया था, आकर्षण एक बाहरी चीज़ है और बहुत अस्थिर है. मान लो आप गुड खा रहे हैं और तभी आप के सामने चोकलेट रख दिया जाता है तो ज़ाहिर है आप को चोकलेट ज्यादा पसंद आएगा और गुड अब फीका मालूम पड़ेगा. . कुछ लोग मोह या लगाव को प्यार समझते हैं. मेरे हिसाब से प्यार के लिए भटकने से ज्यादा ज़रूरी है प्यार को समझने की. आप के मायने में प्यार क्या है ?? क्यों कोई प्यार में मजनू बन जाता है तो कोई प्यार में पागल हो जाता है. कोई प्यार पाने के लिए अपनी जान दे देता है तो कोई किसी की जान ले लेता है. .. अब वेलेंटाइन का जोरो शोरो से प्रचार करने वाले यह भी सपष्ट करवा दे कि प्यार असल में है क्या ?? क्या प्यार प्रदर्शन करने की चीज़ है ?प्यार के चक्कर में मैंने ज्यादातर लोगों को गुमराह होते हुए देखा .. पहले वेलेंटाइन दिवस का प्रचलन नही होता था मगर अब यह करीब करीब एक व्यावसायिक उत्सव की शक्ल ले चुका है …

R. K. Telangba
rktelebaba@gmail.com

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